कृषि प्रेक्षागृह भवन में मांगो को लेकर सम्मेलन:मांगे पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी
*पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू और आठवां वेतन आयोग की समिति गठन पर जोर।
लखनऊ,संवाददाता। कृषि प्रेक्षागृह, कृषि भवन में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश फेडरेशन आफ मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन के तत्वाधान में कई विभाग / संवर्गों की लबिंत समस्याओं को लेकर समस्त प्रांतीय, क्षेत्रीय और जनपदीय पदाधिकारियों के एक दिवसीय सम्मेलन में पीएफआरडीए बिल रद्द कर,पहले की तरह पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू और आठवां वेतन आयोग की समिति के गठन पर जोर देते हुए 12 सूत्रीय मांगों को ज्ञापन दिया गया।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि कौशल किशोर, केन्द्रीय राज्य मंत्री, आवास एवं शहरी मंत्रालय एवं विशिष्ट अतिथि सूर्य प्रताप शाही, मंत्री कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान, डा. लालजी प्रसाद निर्मल, विधान परिषद सदस्य, एस०बी० यादव, राष्ट्रीय महासचिव, काॅन्फेडरेशन ऑफ सेन्ट्रल गर्वनमेंट इप्लाइज एण्ड वर्कर्स,अर्जुनदेव भारती, अध्यक्ष,उ०प्र० सचिवालय संघ और तनुजा श्रीवास्तव, सचिव, उ०प्र० सचिवालय संघ की मौजूदगी में सरकार को प्रदेश के विभिन्न विभाग / संवर्गों की लम्बित समस्याओं की मांगों को लेकर ज्ञापन देते हुए केन्द्र एंव प्रदेश सरकार से मांग की गई।
अध्यक्षता दिवाकर सिंह प्रान्तीय अध्यक्ष और संचालन विनोद बुद्धि राम कन्नौजिया प्रान्तीय कार्यवाहक अध्यक्ष ने किया।
बारह सूत्री मांगो में :
पीएफआरडीए बिल रद्द कर, पूर्व की भांति पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू,आठवां वेतन आयोग की समिति का गठन,कोविड-19 महामारी में रोका गया 18 माह का मंहगाई भत्ता बहाली, प्रदेश के कर्मचारियों को प्राप्त हो रहे विशेष भत्ता में नगर प्रतिकर, परिवार नियोजना, पुलिस कर्मिकों को प्राप्त होने विशेष, सचिवालय भत्ता के तर्ज पर तत्काल बहाली।वर्तमान में विभागो मे विभागाध्यक्षा के ग्रेेड वेतन-12000.00 को मानक मानते हुये मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पदो के सृजन शासनादेश जारी किया जो न्याय संगत नहीं है। फेडरेशन मांग करता है कि स्टाफिग पैर्टन को आधार मानते हुये उत्तर प्रदेष के समस्त विभागो मे मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पदो का सजृन कर पदोन्नित सम्बंधी कार्यवाही।सभी विभागों में रिक्त पदोन्नति के पदों को एक माह के भीतर पर भरा जाय।सरकारी विभागों / निगमों का निजीकरण पूर्णतया बंद और देश एवं प्रदेशों में 3 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत समस्त संविदा / आउटसोर्सिंग कर्मियों का विनियमितीरिण कर, शेष रिक्त पदों पर नियमित भर्ती ,समान कार्य का समान वेतन सिद्धांत वर्ष 1979 में राज्य सरकार द्वारा सिद्धांतरूप से स्वीकार किया गया जिसकी केन्द्रीय वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट के अध्याय 3-1 के चैप्टर 3-1-3 में स्पष्ट व्याख्या दी है, तत्काल लागू किया जाय तथा 3 वर्ष की अवधि से कम समय से कार्यरत संविदा/आउटसोर्सिंग कार्मिकों को न्यूनतम वेतन रू 26000/- प्रतिमाह प्रदान किया जाय।
सहाकारिता विभाग,निगमों,निकायों में सेवारत कार्मिकों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों,सभी जिला सहकारी बैंकों में वेतन पुनरीक्षण कर लाभ दिया जाय।चिकित्सा प्रतिपूर्ति को आयकर दायरे से बाहर किया जाए।
उत्तर प्रदेश राज्य के बंटवारें के फलस्वरूप उत्तराखण्ड राज्य के गठन के उपरान्त,उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लिपिकीय संवर्ग के कर्मचारियों का स्टाफिंग पैटर्न अपनाते हुये पुनर्गठन किया गया, किन्तु उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग द्वारा पुनर्गठन के मानक तय करने के लिये शासनादेश संख्या – 1102 का 05.दिसंबर .2001 निर्गत तो किया गया, किन्तु कार्यवाही अवशेष ,जिसे तत्काल प्रारम्भ कर स्टाफिंग पैटर्न अपनाते हुये लिपिकीय संवर्ग के पुनर्गठन की कार्यवाही यथाशीघ्र करायी जाय, जिससे एक सुदृढ़ कार्मिक प्रबन्धन के अनुरूप ढाॅचा तैयार हो सके एवं पदोन्नति में आ रही समस्याओं का समुचित निराकरण हो सके।सिंचाई विभाग स.के नलकूप चालक, सींचपाल, सींचपर्यवेक्षक व राजकीय निर्माण निगम एवं उत्तर प्रदेश के समस्त मेडिकल कालेज में स्टोर संवर्ग के कार्मिकों की सेवा नियमावली यथाशीघ्र तैयार कराकर रिक्त पदों को नियमित भर्ती से भरा जाय। यूपी में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती पर लगी रोक को हटाते हुये इस संवर्ग के लाखों की संख्या में रिक्त पड़े पदों पर नियमित भर्ती शुरू की जाय। मांगे ना पूरी होने पर बड़े आंदोलन के लिए चेताया गया। तीन नवंबर को दिल्ली में हो चुका धरना प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश फेडरेशन आफ मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन ने तीन नवंबर को दिल्ली रामलीला मैदान में राष्ट्रीय स्तर पर 25 से अधिक राज्यों समेत कई संघ शासित प्रदेशो के लाखों कर्मचारियों द्वारा विशाल आंदोलन कर सरकार को अवगत कराने का प्रयास किया गया था। लेकिन केन्द्र तथा राज्य सरकार ने कोई कार्यवाही नही की।