बाल विवाह रोकथाम संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) हासिल करने की ओर अग्रसर-भुवन ऋभु दिल्ली,संवाददाता:बाल विवाह मुक्त भारत अभियान से जुड़े विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता राजधानी नई दिल्ली में जुटे और इस दौरान होने वाले बाल विवाहों को रोकने की रणनीति पर चर्चा की। सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए इस क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन “वी फॉर हर फाउंडेशन” और “जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन” के सहयोग से ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड” ने किया।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश भर के 161 गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है जो 2030 तक देश में बाल विवाह के खात्मे के लिए जरूरी “टिपिंग प्वाइंट” यानी वह मुकाम जहां से बाल विवाह अपने आप खत्म होने लगेगा, को हासिल करने के लिए जमीनी अभियान चला रहे हैं।
प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं लेखक भुवन ऋभु ने कहा कि भारत 2030 तक बाल विवाह की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की ओर अग्रसर है। देश में बाल विवाह की ऊंची दर वाले इलाकों में पिछले एक वर्ष में गैरसरकारी संगठनों और सरकारों के प्रयासों ने जो गति पकड़ी है। इसके खिलाफ लड़ाई में अगले एक महीने काफी महत्वपूर्ण है और समुदायों, पंचायतों, गैरसरकारी संगठनों और राज्य, जिला एवं प्रखंड स्तर पर सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है कि इस अक्षय तृतीया पर किसी बच्चे का बाल विवाह नहीं होने पाए।
उन्होंने कहा, “बाल विवाह एक वैश्विक समस्या है लेकिन दुनिया के किसी भी देश ने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नीतियों और क्रियान्वयन के स्तर पर उतनी तरक्की नहीं की है, जितनी भारत ने की है। भुवन ऋभु ने हाल ही में आई अपनी बेस्टसेलर किताब “व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रन टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज” में तक बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक मुकाम तक पहुंचने के लिए एक ठोस रणनीतिक खाका पेश किया है।राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के आंकड़ों के अनुसार देश में 20 से 24 आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनकी 18 वर्ष की उम्र पूरी होने से पहले हो गया था।कार्यशाला में मौजूद संवाद सामाजिक संस्थान के सचिव अतुल तिवारी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं बाल विवाह की रोकथाम के लिए जमीनी अभियान चला रहे कार्यकर्ताओं के सामने आ रही चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में सक्षम बनाने में सहायक होंगी। सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता के प्रसार, लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाने और बाल विवाह रोकने की दिशा में अथक प्रयास कर रहे हैं।कार्यशाला में आने वाले शादी ब्याह के मौसम में बाल विवाह की रोकथाम के लिए इन कार्यकर्ताओं को अदालत से निषेधाज्ञा आदेश लाने, प्रत्येक गांव का जनसांख्यिकीय अध्ययन और बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील परिवारों की पहचान, धार्मिक स्थलों के सामने बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का संदेश देने वाले तथा इस मंदिर या मस्जिद में बाल विवाह नहीं कराए जाते हैं जैसे पोस्टर लगाने, पंचायत भवनों में बाल विवाह कराने या इसमें शामिल होने पर होने वाली सजा के बारे में जानकारी देने वाले पोस्टर लगाने सहित तमाम उपायों पर चर्चा की गई।