जल ही जीवन:जल संचयन के लिए वैज्ञानिकों ने किसानों को बताए गुर,मछली पालन कर दोगुनी आमदनी बढ़ा सकते कृषक
धनघटा(संत कबीर नगर):पानी का स्तर काफी नीचे होता जा रहा है ऐसे में बरसात के पानी के संरक्षण से ही हम सभी गिरते जल स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज,अयोध्या द्वारा संत कबीरनगर में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मिशन लाइफ एक्टिविटीज के अंतर्गत रेन वाटर हार्वेस्टिंग कार्यक्रम में गोष्ठी कर वर्षा जल संचयन,श्रीअन्न, मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के बारे में किसानों को नई टेक्नोलॉजी से जागरूक किया गया। वैज्ञानिकों ने कहा कि बारिश के मौसम को देखते हुए किसान खेतों के पास तालाब बनवाकर जल का संचयन कर सकते हैं। जिले में बारिश शुरू हो गई है। दो- तीन दिन से अच्छी बारिश हो रही है इससे किसानों की फसलों को लाभ मिल रहा है। लेकिन बारिश का पानी बर्बाद ना हो इसके लिए किसानों को थोड़ी और मेहनत करने की जरूरत है।
कृषि विज्ञान केंद्र संत कबीर नगर के पशुपालन वैज्ञानिक डा.संदीप सिंह कश्यप ने बताया कि कृषक खेतों के निकट ही तालाब का निर्माण करवाएं जिससे बारिश के पानी को तालाब में ही संचयन किया जा सकता और पानी को बर्बाद होने से रोका जा सकता है।
कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डा. देवेश कुमार ने बताया कि वर्षा जल संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य के महत्व तथा उपयोगिता के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कृषकों को जल संचय की शपथ दिलाते हुए जैविक खेती करने के गुण भी बताये।
वैज्ञानिक डा.राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने श्रीअन्न के महत्व और उपयोगिता के बारे में बताया। श्रीअन्न के सेवन से जहां पर मानव समुदाय को तमाम बीमारियों से निजात मिलेगी वही धरती मां भी स्वस्थ रहेगी।श्रीअन्न की खेती के लिए कम मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जरूरत पड़ती और लागत में कमी आती है।
वैज्ञानिक डा. तरुन कुमार ने कहा कि वर्षा जल संरक्षण करके कृषक खेती को लाभदायक बना सकते हैं।धरती के अंदर जल स्तर को भी बनाए रख सकते हैं। जिसे पेड़-पौधों जीव-जंतुओं को भी अपना जीवन चक्र चलाने में मदद मिलती है।वही मिश्रित खेती के रूप में मछली पालन कर दुगनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के साथ ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग का सपना भी पूरा कर सकते हैं।