शिव मंदिर ऊंचा बहादुर में श्रीमद्भागवत:ध्रुव चरित्र और सती चरित्र की कथा सुन भावि-विभोर हुए भक्त
औरैया,संवाददाता:अजीतमल क्षेत्र गांव बहादुरपुर-ऊंचा के शिव मंदिर में श्रीमद्भागवत में कथा वाचिका कुंज किशोरी बबली शास्त्री ने ध्रुव चरित्र और सती चरित्र का प्रसंग सुनाया। ध्रुव चरित्र में भगवान ने भक्त की तपस्या से प्रसन्न होकर अटल पदवी देने का वर्णन किया।
कथावाचिका शास्त्री ने कहा कि भगवान शिव की अनुमति लिए बिना उमा अपने पिता दक्ष के यहां आयोजित यज्ञ में पहुंच गईं। यज्ञ में भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिए जाने से कुपित होकर सती ने यज्ञ कुंड में आहुति देकर शरीर त्याग दिया। इससे नाराज शिव के गणों ने राजा दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया। इसलिए जहां सम्मान न मिले वहां कदापि नही जाना चाहिए।कथावाचिका ने ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां से अपमानित होकर बालक ध्रुव कठोर तपस्या के लिए जंगल को चल पड़े। बारिश, आंधी-तूफान के बावजूद तपस्या से न डिगने पर भगवान प्रगट हुए और उन्हें अटल पदवी प्रदान की। ऋषभ देव ने कथा सुनाते हुए कहा कि वह अपने पुत्रों को गोविंद का भजन करने का उपदेश देकर तपस्या को वन चले गए। भरत को हिरनी के बच्चे से अत्यंत मोह हो गया। नतीजे में उन्हें मृग योनि में जन्म लेना पड़ा। महंत बाबा श्री राम दास ,भोले बाबा,विशाल कुमार आदि भक्तों ने आरती उतारी।उसके बाद प्रसाद वितरण हुआ।कथा सुनने के लिए आसपास के तमाम भक्त मौजूद रहे।