श्रमिकों की अवहेलना क्यों:आठ घण्टे समय को बढ़ाने की कोशिश
*संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के को न्याय दिलाने के उद्देश्य से सम्मान समारोह
लखनऊ,संवाददाता: संविधान संरक्षण मंच के तत्वाधान में संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से कांशीराम ईको गार्डन में इनके सत्कार में कर्मयोगी सम्मान समारोह आयोजित किया गया। संविधान संरक्षण मंच राष्ट्रीय संयोजक गौतम राणे सागर ने कहा कि देश की प्रगति में 93 प्रतिशत के भागीदार अधिकारों से वंचित,नागरिक सुविधाओं से वंचित,विडंबना कहें या साज़िश? सरकार इनके प्रति इतनी विमुख कैसे रह सकती है? क्या यह दलों को चुनावी फंड के रूप में मदद नही कर पाते,उपेक्षा सिर्फ़ इसलिए तो नही? नौकरशाही के ऐश्वर्य की व्यवस्था नही कर पाते,फलतः यह महकमा भी इनकी समस्याओं के समाधान के प्रति उदासीन रहना श्रेयस्कर समझता है,यह अपने कानूनी अधिकारों से अपरिचित हैं, संगठित आवाज़ उठा नही सकते इसलिए हर कोई इनके प्रति लापरवाह है। जो जितना बड़ा ज्ञानी उतना ही आत्म केन्द्रित संभव है, आत्म केन्द्रित लोग इन्हें विकास की मुख्य धारा से जुड़ने की सुविधाओं से अलग थलग करने की साजिश करते रहते हैं। यथार्थ है कि देश की प्रगति में यह 93 प्रतिशत सहयोग करते हैं। फिर भी कानूनी अधिकारों से वंचित क्यों?
नईम सिद्दीकी ने कहा कि भारत एक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के प्रति निष्ठावान रहने वाला देश है। नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।
पी सी कुरील ने कहा कि दैनिक मजदूरों को प्रतिदिन दैहिक यातना के क्रूर जूतियों की निरन्तर मार झेलनी पड़ती है। कम मेहनताना,उत्पीड़न,काम की बेरहम अवस्था,न कोई सामाजिक सुरक्षा न ही कोई लाभ, रहने के लिए न तो साफ़ सुथरा मकान न ही जीवन के लिए ज़रूरी सामग्री उपलब्ध है।
डा.आर एस जैसवारा ने कहा कि किन कठिन परिस्थितियों में और खतरनाक जगहों पर यह काम करते हैं इनके लिए कोई योजना बनी कि इन स्थानों पर कार्य करने के लिए उन्हें किन-किन सुरक्षा उपकरणों की जरूरत है? इनके साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो इन्हें मुआवजा न मिले अधिकारी हर संभव तिकड़म ढूंढने के यत्न होते हैं।
अजय कुमार रवि ने कहा कि कब आंकड़े बटोरे जाएंगे कि इनके कार्य के स्थान से रहने के स्थान की दूरी कितनी है? कार्य के स्थान तक पहुंचने से पहले यह अपने शरीर की कितनी ऊर्जा खर्च चुके होते हैं? कार्य से छूटने के बाद अत्यधिक थके होने के बावजूद यह अपने झोपड़ी तक पहुंचने में और कितनी ऊर्जा खर्च करते हैं? अनीस अंसारी आईएएस (से.नि.) ने कहा कि आठ घण्टे निर्धारित कार्य के समय को बढ़ाने की कोशिश क्यों हो रही है? क्या सरकार इनके शोषण में उद्योग घरानों के उपकरण का कार्य कर रही है? संविधान की मंशा के खिलाफ़ सरकार काम क्यों करना चाहती है?
आदित्य कौशल किशोर,स्मारक स्थल कर्मचारी नेता ने कहा भविष्य निधि, मुआवजा, कर्मचारी राज्य बीमा इत्यादि सुविधाओं में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को शामिल करने पर सरकार को गम्भीर होना चाहिए। तनिक उदासीनता असहनीय है, इंसान और इन्सानियत के प्रति, कानून के प्रति।कार्यक्रम में उपस्थित सभी कर्मयोगी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। मनवीर तेवतिया किसान नेता, सत्यवीर जाटव,अकील चौधरी, मुज्तबा ख़ान, इन्द्र प्रकाश बौद्ध, राजेश बाल्मीकि,सोहित यादव, गुरू प्रसाद आदि ने अपने अपने विचार रखे। मंच के राष्ट्रीय महासचिव नवाब अली अकबर ने सफलता के लिए आभार जताया।